मेरे राम !
तुझको पुकारे ये आत्मा हर सांस
मुझे नहीं आये कोई पूजा आरधना कोई नाम
में जानू ,में मानु तुझे अपना राम
संसार के तुम अधिपति
और मेरे बुनकर हो मेरे राम !
हां तुम ही तो हैं जिसकी आखों ने संजोये हैं
मेरे लिए सपने
और में गूम इस मिथ्या संसार में कुछ नहीं कर सकी तुम्हारे नाम
एक दिन वो आयेगा जिस दिन छोड़ में चल पडूँगी तुम्हारी राहे
मेरा विशवास करना
देना अपने अक्ष्णु विशवास का साथ
में ज़िंदा हूँ क्योकि मेरी साँसों में हिम्मत बन के जीते हैं मेरे राम
मुझे आई स्नेह समर्पण की भाषा बस न आया कोई दूजा काम
मेरा सपना तेरे कदमो की आशीष नहीं
और कोई चाह इस जीवन की
अब न बिखरुंगी
सिर्फ एक कदम उठाने को पिछला कदम भूलूंगी
सब कुछ मिट गया हैं इन सांसो से
बस बाकी हैं इस विदिरण ह्रदय में
एक अपनत्व तुम्हरा
मेरे राम !
श्री चरणों में अनुभूति
इ
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