गुरुवार, 1 दिसंबर 2011

तेरे कदमो पे जीवन हारी

मेरे राम ! 
जिस रूप में तुम आओ 
मेरी इन अखियन के सामने 
मैं मन्त्र मुग्ध सी  देखती ही जाऊं 
केवल तुम्हारे चरण के धाम को 
सारा संसार होगा मुग्ध
तुम्हारे रूप .
रंग नाम
पे बलि हारी 
मैं  दीवानी,
एक पगली सी 
तेरे कदमो पे जीवन हारी 
कोई भोर न ऐसी जीवन की 
जब न में, न पहनाऊं तोहे 
चरण पादुका 
अपने स्नेह नाम की 
तुझसे ही सिखा हैं 
सिखा "उसके सुख में सुखी रहना "
तुझसे ही पायी हैं 
अपने राम के असीम स्नेह की कृपा अपार 
मेरा जीवन महके पाके 
तेरा ये स्नेह दुलार
श्री चरणों में तुम्हारी अनुभूति







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तेरी तलाश

निकला था तेरी तलाश में भटकता ही रहा हुआ जो सामना एक दिन आईने से , पता चला तू तो ,कूचा ए दिल में कब से बस रहा ................