प्रभु मेरे !
तेरे एहसासों के साए में,
पल रहा प्यार मेरा ,
तेरी खोमोशी में,
पल रहा एक अनुराग मेरा.
सोचती हूँ कभी कहते नहीं ,
कोई इजहार नहीं
फिर तुम्हारी आँखे क्यों मुझसे बात करती हैं ?
बिना कहे भी ,
ये दिल से दिल के बीच कौन सा यकीन पल रहा है ,
ये यकीन क्यों है !
ये जान कर जी रही पल -पल सिर्फ मैं तेरे लिए |
तुम्हारे दिए हर परिवर्तन को महसूस करती हूँ ,
और सोचती हूँ क्यों बदल गए भगवान मेरे
इतना लाड क्यों बरसाने लगे प्रभु मेरे !
इस बावली पर
अभिभूत हूँ तुम्हारे इस आलौकिक स्नेह से ,
कृतार्थ कर दिया ,प्रभु !
इस पागल का स्नेह
अपने चरणों में स्वीकार करके |
अब मुझे डर नहीं, मेरा मोक्ष होगा कि नहीं ,
वह मोक्ष होकर मुझे तेरे कदमो की सेवा ही मिलेगी
प्रभु मेरे !
कृतार्थ कर दिया तूने मुझे
धन्य हूँ मैं तेरे नाम से .
मेरे प्रभु,! मेरे राम !
बस यूँ ही मेरी आत्मा में वास करना ,
मुझे अपने लिए यूँ ही बौराए रखना ,
अपने चरणों यूँ ही स्थान देना ,
इतनी ही विनती है |
मेरा रोम -रोम ऋणी रहेगा तेरा
तेरे इस संसार में अब कोई ख्वाहिश नहीं ,
मेरे प्रभु , मेरे राम