मेरे कोस्तुभ धारी !मेरे कृष्णा !
जीवन तेरा हैं तुझ्कोअर्पन।
बस यूँ ही मुझे मार्ग दिखाते चलो |
आप के श्री चरणों में कोटि-कोटि नमन
अनुभूति
निकला था तेरी तलाश में भटकता ही रहा हुआ जो सामना एक दिन आईने से , पता चला तू तो ,कूचा ए दिल में कब से बस रहा ................
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