सोमवार, 2 मई 2011

तेरा आदेश

राम ,राम ,राम लेते लेते ही निकले प्राण 
प्रभु तुम्हारी ये ही तो इच्छा हैं |
तेरी इच्छा , 
तेरे आदेश के साथ ,तेरा आदेश
सदा सब स्वीकार |
इसमें कभी मुझको नहीं इनकार ,
राम तो साथ खड़े मेरे जीवन की हर झंकार 
तेरा तुझको अर्पण प्रभु मेरे 
के कर अब स्वीकार 
कर दो इस आत्मा का उद्धार 
तिल - तिल तुझको पाना ही मेरा जीवन 
सब कुछ कर दिया न जाने कब से समर्पण
पाने की नहीं तेरे चरणों में मिट जाने की इच्छा हैं 
बस मिट जाने दो , इस देह को भी अब ख़ाक हो जाने दो |
तुमसे मेरे राम ये ही आशीष ये ही तम्मना हैं |
करो स्वीकार मेरा भक्ति संसार 
मेरे राम !
मेरे राम !

"तुम्हारे श्री चरणों में अनुभूति को कर लो स्वीकार मेरे राम !"

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निकला था तेरी तलाश में भटकता ही रहा हुआ जो सामना एक दिन आईने से , पता चला तू तो ,कूचा ए दिल में कब से बस रहा ................