गुरुवार, 28 अप्रैल 2011

काहे रूठ गए हो ,

ओ सावले सलोने कृष्णा मेरे ,
काहे रूठ गए हो ,
तुम बिना सूना पडा हैं गोकुल ,
सुनी पड़ी हैं मुरलिया मन की, 
तुब बिन रूठ गए शब्द मेरे
कहां से गाउ गीत और
केसे मनाऊ  तुम्हे 
अनुभूति

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तेरी तलाश

निकला था तेरी तलाश में भटकता ही रहा हुआ जो सामना एक दिन आईने से , पता चला तू तो ,कूचा ए दिल में कब से बस रहा ................