इस नीले आकाश को ,
देखते- देखते ही ,
में खोजती हूँ अपने ही अंतस में
तुम्हारे साथ को,
और देखने लगती हूँ
इन खुली आँखों से सपना |
हां ,एक खुबसूरत सपना ,
तुम्हारे काँधे पर सर रखकर
भूल जाती हूँ सारी दुनियां
और तुम मेरे हाथो को थामे
गुनगुना रहे होते हो ये गीत .
तेरा मेरा साथ रहे ,
तेरा मेरा साथ रहे धूप या छाया ...
1 टिप्पणी:
बहुत खूब कल ब्लाग4वार्ता पर शामिल है यह कविता
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