रात बन बैठी है चाँद का घूंघट .
और इस चाँद केघूंघट में ,
राधा को इन्तजार
अपने कान्हा का ,
कि कान्हा आयेंगे
और उसके चाँद से मुख से घूंघट उठायेंगे .
इस आस में राधा करे इन्तजार
अपने कान्हा का ,
कर सोलह सिंगार |
वो कान्हा बड़ा निर्मोही ,
जब भी राह तके राधा ,
वो दे अंखियन को आंसू .
और जब आए सामने
राधा दे मुस्काय
ओ कान्हा
तेरी राधा बड़ी पगली ,दीवानी
तू काहे सताए करके मनमानी ,
ये रात नहीं आएगी दोबारा
कि कान्हा आज सजी है घूंघट में
तेरी चांदनी राधा |
9 टिप्पणियां:
अति सुन्दर
बहुत बढ़िया रचना!
आपको पूरे परिवार सहित होली की बहुत-बहुत शूभकामनाएँ!
कोमल अहसासों से परिपूर्ण एक बहुत ही भावभीनी रचना जो मन को गहराई तक छू गयी ! बहुत सुन्दर एवं भावपूर्ण प्रस्तुति ! बधाई एवं शुभकामनायें !
होली की सपरिवार रंगविरंगी शुभकामनाएं |
कई दिनों व्यस्त होने के कारण ब्लॉग पर नहीं आ सका
आप सबको होली की बहुत बहुत शुभकामनायें ।
प्रशंसनीय.........लेखन के लिए बधाई।
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जो तुम जाओगी तो मैं टाटा करूँगा।
किसी भी तरह वक़्त काटा करूँगा।।
न काटे क्टेगा अगर वक़्त मुझसे-
तो फोटो तुम्हारा मैं चाटाब करूँगा।।
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"हर तरफ फागुनी कलेवर हैं।
फूल धरती के नए जेवर हैं॥
कोई कहता है, बाबा बाबा हैं-
कोई कहता है बाबा देवर है॥"
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क्या फागुन की फगुनाई है।
डाली - डाली बौराई है॥
हर ओर सृष्टि मादकता की-
कर रही मुफ़्त सप्लाई है॥
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होली के अवसर पर हार्दिक मंगलकामनाएं।
सद्भावी -डॉ० डंडा लखनवी
खूबसूरत अभिव्यक्ति
ओ कान्हा
तेरी राधा बड़ी पगली ,दीवानी
तू काहे सताय करके मन मानी ,
ये रात नहीं आएगी दोबारा
के कान्हा आज सजी हैं घुंघट में
तेरी चांदनी राधा |
मनमोहक कथ्य, अंदाज और शाल्ली प्रभावी. बहुत पसंद आया यह भाव की उत्कृष्टता..
बेहद खूबसूरती से पिरोई दिल को छू जाने वाली रचना. आभार.
सादर
डोरोथी.
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