मन का मयूर नाचे छम - छम
के आगये राधा - रानी तेरे प्रीतम.
आज वो तुझे छू जायेंगे |
मन की हर कसमसाहट मिटा जायेंगे |
अरे पगली ,
कान्हा के आने से
पहले करले सोलह सिंगार
पैरों में पायल ,
सांसो में सरगम और
दिल में कान्हा को बसाये ,
आज तो तू धड़का दे तन मन श्याम का ,
अपने घनश्याम का .
कान्हा तो काला,
और तू राधा चाँद चकोरी
कान्हा कँहा टिक पाएंगे ,
आज तेरे घनश्याम
कि आज तो होरी है .
और कान्हा की राधिका कोरी हैं |
तो काहे लजाएँ अपने श्याम से
आज तो रंग लगाने दे ,
अंग - अंग भीग जाने दे,
रंग में रंग ,और मन से मन,
आज मिल जाने दे ,
राधिका गोरी
अब खुल के बोल ,
हाथ गुलाल रंग बिरंगी ले कर बोल,
कि श्याम आज तो होरी हैं |
ये राधिका तोरी हैं |
7 टिप्पणियां:
वाह वाह बहुत सुन्दर्………… होली की हार्दिक शुभकामनायें।
धन्यवाद वंदना दीदी
आप को भी होली की हार्दिक शुभकामनायें |
ये होली यूँ ही आप के जीवन में रंग बरसाती रहे |
बहुत सुन्दर रचना!
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मस्त फुहारें लेकर आया,
मौसम हँसी-ठिठोली का।
देख तमाशा होली का।।
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होली की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!
होली की शुभकामनायें...... हैप्पी होली
भूल जा झूठी दुनियादारी के रंग....
होली की रंगीन मस्ती, दारू, भंग के संग...
ऐसी बरसे की वो 'बाबा' भी रह जाए दंग..
होली की शुभकामनाएं.
आपका होली पर कविता पढ़ा बहुत अच्छा लगा।होली की शुभकामनाएँ...
बहुत सुन्दर...होली की हार्दिक शुभकामनायें !
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