मेरे तो गिरिधर गोपाल
जीवन का अद्भुत रस आलोकिक अहसास मेरे कृष्णा !
की प्रीत ,ऊनकी चाकरी ये ही हैं जीवन
अनुभूति
मेरे तो गिरिधर गोपाल
जीवन का अद्भुत रस आलोकिक अहसास मेरे कृष्णा !
की प्रीत ,ऊनकी चाकरी ये ही हैं जीवन
अनुभूति
मेरे तो गिरिधर गोपाल
जीवन का अद्भुत रस आलोकिक अहसास मेरे कृष्णा !
की प्रीत ,ऊनकी चाकरी ये ही हैं जीवन
अनुभूति
मेरे तो गिरिधर गोपाल
जीवन का अद्भुत रस आलोकिक अहसास मेरे कृष्णा !
की प्रीत ,ऊनकी चाकरी ये ही हैं जीवन
अनुभूति
निकला था तेरी तलाश में भटकता ही रहा हुआ जो सामना एक दिन आईने से , पता चला तू तो ,कूचा ए दिल में कब से बस रहा ................