मेरे कृष्णा !
तेरी प्रीत की रित हैं अनोखी
जो तेरा ,वो दूर खडा हैं तुझसे कोसो
जगत ,दुनिया पा जाएँ तेरे चरणों का सुख
और में बावरी तरसा किये हूँ तुझे
सुनने को ,बतियाने को
केसी सजा हैं प्रीत की अनोखी !
तिल-तिल का विरह में न पाऊं
आस ये ही अब में इस संसार से मुक्ति पाऊं
क्या करू चाह तेरे दर्शन की मन में
जब तू सारे संसार की कठोरता
मेरे लिए ही ओड़े बैठा हैं
दे दे मोक्ष मुझे अपने चरणों में ........
श्री चरणों में अनु
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