मेरे कृष्णा !
संसार के अधिपति तुम तो भूले होगे
कभी मुझे कही गयी अपनी ही बात
तुमने मुझे आदेश किया था
पयोव्रत संकल्प का
ले तुम्हरे चरणों का आशीष मे शुरू करू
ये संकल्प साकार |
तेरी रहमतों का यूँ असर मेरे चेहरे दिखता हैं ,
जेसे हर सांस मे तु मेरे साथ जीता हैं
मे मरती हूँ
मिटती हूँ
रोती हूँ और तुझसे ही झगडती हूँ
अगर तुम न हो मेरी सांसो मे तो, एक पल मे मर जाऊं
मैं जानती हूँ तुम हो इन साँसों मे, इसीलिए मे जी पाऊं
अपनी अनु को,
अपने चरणों के आशीष से यूँ ही सम्हाले रखना
एक दिन आएगा जिस दिन मैं . तुझमे ही विलीन हो जाउंगी
मेरे कुमकुम की तरह अक्ष्णु हैं मेरा विशवास
सदा तुम्हारे कदमो से यूँ ही लिपटी रहूँ मे
ये ही कामना हैं इस जीवन
हो मेरे संकल्प पुरे सारे इतना देना मुझे आशीष
रख इस मस्तक पे हाथ
तुमने ही हाथ थाम लड़ना सिखाया हैं
अपनत्व का दिया हैं स्नेह संसार
बस तुम इन साँसों से दूर मत जाना
मे तुम्हारी ही हूँ सदा रहूंगी इस जीवन बस
हाथो को मेरे यूँ ही अपने हाथो मे थामे रखना
मेरे माधव !
मेरे कृष्णा !
मेरे राम !
तुम्हरा आदेश
श्री चरणों मे तुम्हारी अनु
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