मोहे शपथ
करुणा निधान की
में हूँ दासी अपने राम की ,
में सदा ही पाऊं
इन अखियन में
सदा निश्छल धवल छबी
अपने राम की
रोक सके न संसार का कोई मोह
मेरी आत्मा का स्नेह बंधन
जो मिले मेरी आत्मा
अपने राम के चरणों से
तो मे पाऊं आत्मा का सुख अपार
मेरे राम !
करुणा निधान
मोहे शपथ अपने राम
में सदा करू हर भोर चरण प्रणाम
तोरे नाम
मेरे राम !
श्री चरणों में अनुभूति
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