मेरे कृष्णा !
तुने तोड़ दी ,
बिखेर दी हैं मेरी तपस्या के मोतियन की माला
मेने जोड़ा एक -एक मनका
अपनी आत्मा के असीम स्नेह विशवास से
.और तुमने एक ही पल मे अपने आवेश मे बिखेर डाला |
सारा संसार एक तरफ तू मेरा कृष्णा एक तरफ
दुनिया मुझपे तोहमत लगाये मेने सह ली
तेरी तोहमत मुझे असीम वेदना दे जाएँ
ये क्या हैं मेरे माधव !
मुझे ना समझ आये ,
तेरी बाते तू ही जाने
मेने कुछ नहीं कह पाऊं
मेने सिर्फ मागी हैं तेरे चरणों की सेवा
और कुछ मे नहीं चाहूँ
मे जानू मेरी अखिया कभी ना तोहे भाये
इसीलिए तू मोहे ये पीड दे जाएँ
जो तू पड़े सके मेरे असुअन को बोली
तो मेरी पीड समझ जाए
धन्य हूँ मैं
जीने को तुने कुछ तो मेरे नाम किया हैं
ऐसा कोन दूजा होगा
जिसके क्षण-क्षण पे तुमने ये वेदना का सागर दान किया हैं
हां , मे अब इसी मे डूब जाउंगी
हां अब तो करले दे म्रत्यु
अपने श्री चरणों मे स्वीकार
तेरी बड़ी कृपा होगी .!
मेरे पालनहार !
तेरे पगली अनुभूति
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