मेरे कोस्तुभ धारी !
मेरे कृष्णा !
मेरे माधव !
जीवन का नव दिन तुहारे चरणों में,
बेठे बिन केसे कर लू में शरू
हरपल ,हर क्षण इस जीवन बस तुने ही दिया हैं
साहरा बन कर राम ,
बनकर कोस्तुभ धारी
बनकर श्याम
अपनी इस बावरी को यूँ ही इन चरणों में बसायें रखना
ताकि ये तन ,मन ये आत्मा
ये जीवन बन जाएँ
तुम्हरा धाम
श्री चरणों में अनुभूति
मेरे कृष्णा !
मेरे माधव !
जीवन का नव दिन तुहारे चरणों में,
बेठे बिन केसे कर लू में शरू
हरपल ,हर क्षण इस जीवन बस तुने ही दिया हैं
साहरा बन कर राम ,
बनकर कोस्तुभ धारी
बनकर श्याम
अपनी इस बावरी को यूँ ही इन चरणों में बसायें रखना
ताकि ये तन ,मन ये आत्मा
ये जीवन बन जाएँ
तुम्हरा धाम
श्री चरणों में अनुभूति
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