मेरे माधव !
मेरे गिरिधर , गोविन्द !
जिस दिन न करे ये आत्मा तुम्हारे चरणों में स्नेह अश्रु प्रणाम
इस आत्मा को चेन नहीं
सुध नहीं ,तडपत हैं
मेरा रोम -रोम गिरिधर लेकर हरसांस तेरा नाम !
तेरी साँसे छु जाएँ जब मुझे
आत्मा हो गद -गद
झुक जाएँ ,
ये आत्मा तेरे चरणों में
मेरे राम !
कोई सांस नहीं ऐसी मेरी ,
कोई आस नहीं ऐसी मेरी
जो बिन तुम्हारे चरण छुएं कर सके
इस संसार का कोई काम .
एक बार देना जीवन में
तुम्हारे चरणों को अपने अश्रु जल से धोने का वरदान
श्री चरणों में अनुभूति
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