छोड़ आई हूँ छोटी सी परी को,
छोटी बहन को ,
अपने घर हां अपने ससुराल ,
वक्त थम सा गया था ,
कुछ पलों के लिए ,
भीग गयी हैं आँखे
हां अब वो मेरी लाल परी बड़ी होगई हैं ,
मेरी तो आँखों में तुम वेसी बसी हो,
पी- पी की आवाज के साथ के जूतों ,
और अपनी हट के साथ ,
कही भी रुक जाने की अपनी आदत सी
हां अस्त -व्यस्त हैं तुम्हारे कपडे
और गोद में थामे हो अपना स्नेह
तुम बड़ी होगयी हो मुझसे कई गुना ,
तुम्हारी बातो में अब सिर्फ संसार घूमता हैं ,
लेकिन में वही खड़ी हूँ
तुमसे बहुत पीछे तन्हा ,
मेरे जीवन में तुम सब सा कुछ भी नहीं
हां , खुश रहो अपने संसार में तुम
ये ही दुआ हैं मेरी
हां तुम अब बड़ी हो गयी हो मुझसे बहुत
मेरी लाल परी
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