मेरे श्री हरि ,
मेरे राम ,
मेरी श्रद्धा इन आँखों से बहती,
इन शांत अश्रु धाराओं से
मैं करती तुम्हे प्रणाम .
मेरी श्रद्धा के जल को स्वीकार कर ,
अपने चरणों में हो जाने दो इस तुच्छ आत्मा को भी पावन ,
ओ मेरे श्री हरि ,
ओ मेरे राम ,
मेरे स्वामी ,मेरे गिरधर गोपाल
तन - मन का रोम - रोम तेरी भक्ति को पाकर है अभिभूत .
इतना सुन्दर होगा कभी मेरे जीवन का स्वरुप ,
ये स्वप्न से भी परे था |
कृतार्थ कर दिया प्रभु तुमने मुझे ,
इस तुच्छ को अपने श्री चरणों में कर स्वीकार |
ओ मेरे राम ,
श्री हरि ,
अपना सर्वस्व समर्पित कर ,
करती हूँ तुम्हारे इन श्री चरणों में
कोटि- कोटि प्रणाम
-- अनुभूति
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