गुरुवार, 31 मार्च 2011
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
तेरी तलाश
निकला था तेरी तलाश में भटकता ही रहा हुआ जो सामना एक दिन आईने से , पता चला तू तो ,कूचा ए दिल में कब से बस रहा ................
-
ये कविता किसी बहुत बड़े दार्शनिक या विद्वान के लिए नही है | ये कविता है घर-घर जाकर काम करने वाली एक साधरण सी लड़की हिना के लिए | तुम्...
-
गोकुल के घनश्याम मीरा के बनवारी हर रूप में तुहारी छवि अति प्यारी मुरली बजाके रास -रचाए | और कह ग्वालों से पट तो गै रानी अरे कान्हा , मी...
3 टिप्पणियां:
जब कोई सहारा साथ न दे तो प्रभु आपके साथ होते है विस्वास रखिये , अच्छी रचना
मुक्ति का ये कोनसा मार्ग हैं,
मेरी अराधना का कोनसा विशवास हैं ,wahi vishwaas jahan prabhu aatma me vilin ho sare adhaar de deta hai
ह्र्दय की गहराई से निकली अनुभूति रूपी सशक्त रचना
एक टिप्पणी भेजें