नहीं देखा मेनें तुम्हे
ओ मेरी मासूम सी चाहत ,
बस इन्तजार कर रही हूँ तुम्हारे आने का
मेरे मासूम फरिश्ते !
इन्तजार कर रही हूँ अपनी पूर्णता का
अपने कानों में तुम्हारे गुगुनाने के एहसास का
हां , अपने माँ होने के एहसास का
कब आओगे तुम ?
सालों से प्रतीक्षा करते करते पथरा गयी हैं मेरी आँखे
ओ मेरे नन्हे फ़रिश्ते
कि तुम आओ तो में लुटा दूँ ,
अपने वात्सल्य की बयार ,
और सालो से सूखा पडा दुलार,
मेरे नन्ने फ़रिश्ते अब चले आओ
अब चले आओ
सुनकर अपनी माँ की करुण पुकार |
4 टिप्पणियां:
Bhaavon ko jaise math ke rakh diya ho ... bahut samvedansheel .. dil mein utarti rachna hai ..
बेहद मर्मस्पर्शी रचना ,नि:शब्द कर दिया .....
mamatv bharee abhivyakti hai lakshi jee,
- vijay tiwari ' kislay
मार्मिक बात
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