बच्ची
एक भरे पुरे परिवार मै अपने एक बड़े भाई और छोटी बहन के साथ एक माध्यम वर्गीय परिवार मै रहने वाली लड़की रीन
पिता एक सरकारी कर्मचारी माँ एक साधरण घरेलू महिला|
.रीना अपनी उम्र के पच्चीस बसंत पार कर इन्तजार कर रही है अपने मन के सपनो के सोदागर का ,पर अभी जब भी कोई रिश्ता घर मै आता है माँ कहती है अभी तो रीना एम .बी ए करेगी अभी क़हा से शादी अभी तो हमारी बच्ची पद रही है साहब |
इसी तरह तेविस से पच्चीस सालगुजर गये ,अपने मन के आँगन मै वो सपने बुनती रही और माँ और पिता उसे पदाते रहे |
धीरे धीरे उसके सपने दम तोड़ते रहे और वो लोक लाज और मरियादा मै बंधी कभी अपने माँ और पिता को कह ही नहीं सकी की मुझको शादी करनी है |
साथ की सहेलियां सुसराल जाती रही ,क्योकि रीना पड़ने मै बहुत अच्छी थी उसकी भावनाओं को कभी समझा ही नहीं गया |घंटो अकेले मै वो रोती रही ,उदास गीतों मै अपने सपनो को सोचती रही |
किसी ने सोचा भी नहीं की अब बच्ची बड़ी हो गयी है और अब वो क्या चाहती हैं |उसकी हसरतो और अरमानो की कोई कीमत नही थीउसके माँ पिता के सामने |
आज एम .बी.ए का रिजल्ट आया और वो पास हो गयी |आज वो बेहद खुश थी क्योकि आज वो बड़ी होने वाली थी बेहद खुश
लहराते हुए अपने सपनो के सोदागर को बस अब अपने बेहद करीब ही महसूस कर रही थी ,आज सारी दुनिया उसके कदमो मै थी |घर आकर उसने अपना परिणाम दिखाया ,तो माँ ने क़हा अब तो रीना की जाओं किसी भी बड़ी जगहलग जायेगी एक पल को रीना को लगा ,क्या माँ कभी ये महसूस नहीं करेगी की मै बड़ी होगी हूँ और अब सत्ताविस साल की भी ?
लेकिन रीना एक साधरण लड़की थी कभी कह ना सकी की वो क्या चाहती है ?माँ के आदेश के साथ हो जॉब के लिए आवेदन किया गया .और रीना को जॉब लग गयी |वही उसकी मुलाक़ात अपने साथ के सुनील से हुई ,दोनों नजदीक आनेलागे |
एक दिन दोनों ने एक दुसरे के सामने अपने मन की बातो का इजाहर किया |और तय हुआ की वो शादी करेगे एक दिन सुनील रीना के घर पहुचा और उसके माँ बाबा से बात की जवाब मिला अभी तो रीना बच्ची है वो शादी केसे करगी ,अभी तो उसकी छोटी बहन पद ही रही है ,भाई इंजिनयरिंग कर रहा है ......
.......................अभी तो रीना को नोकरी करना है |रीना सुनील के सामने बैठकर सब सुन रही थी ,बिना कुछ कहे वो अन्दर चली गयी और ऑफिस जाने के लिए तेयार होने लगी ...............................
जीवन चलता रहा रीना काम करती रही ,और अपने सपनो को सपनो मै ही देखतीही रही ..............क्योकि अभी तो रीना बच्ची है ,,,,,,,,,,,,,.?
मंगलवार, 6 अप्रैल 2010
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
तेरी तलाश
निकला था तेरी तलाश में भटकता ही रहा हुआ जो सामना एक दिन आईने से , पता चला तू तो ,कूचा ए दिल में कब से बस रहा ................
-
गोकुल के घनश्याम मीरा के बनवारी हर रूप में तुहारी छवि अति प्यारी मुरली बजाके रास -रचाए | और कह ग्वालों से पट तो गै रानी अरे कान्हा , मी...
-
ये कविता किसी बहुत बड़े दार्शनिक या विद्वान के लिए नही है | ये कविता है घर-घर जाकर काम करने वाली एक साधरण सी लड़की हिना के लिए | तुम्...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें