मन को लागे नए पर ,दूर तक उड़ने को
जो चाहा वो मिल गया सनम
फिर क्यों दिल कहे तेरे काँधे पे बैठ जाने को
ऐसा लगे की बरस रहा प्यार तेरा ,अंखियों से
झगड़ रहा अधिकार तेरा फिर भी ,
किसको मानु अपना तुझको जो सोप गया जीवन
उसको जो आज जता रहा अधिकार अपना
कोई नहीं अपना जानती हूँ
सच हो नहीं सकता सपना .सपने पुरे करने के लिए जिगर चाहिए
और वो होसला जो सिर्फ तुम्हारे पास है हां जी ,जो सिर्फ मेरे साथ है
रविवार, 24 जनवरी 2010
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