शुक्रवार, 11 नवंबर 2011

इन्तजार

तेरे इन्तजार मे ये शब क्या ये जिंदगी यूँ ही कट जायेगी ,
मे मरती ही रहूंगी और तेरे सामने मेरी तक़दीर हँसती जायेगी .......
तुम खुदा हो ,फरिश्ते हो जो भी हो
पर तुम्हारे बिन ये जिंदगी न जी जायेगी
मरना हैं रोज ,हर आह ,
हर अहसास ,तन से हो या आत्मा से
एक दिन तो मिटना ही हैं
फिर मे क्यों न मिट जाऊं तबाही के रास्तो पे ..........
जो न हो सकी मे तेरी तो अपनी होके कहा जी पाऊँगी
जानती हूँ जिस रस्ते पे बड़ी हूँ वो क्या कहा जाता हैं
नहीं मालुम मुझे पर इतना पता हैं वफ़ा का इनाम क्या दिया जाता हैं .........
आप से बेहतर किसी ने मुझे इनाम नहीं बख्शा ,,,,,,,,,,,,,,,

.
अनु

Zindagi Bhar Nahi Bhoolegi (Male)


जिसने भी ये गीत लिखा हैं
शायद खूबसूरती को सांसो से पढ़ना सीख ही लिया होगा
सुनकर ही ऐसा लगता हैं मानो
किसी ने रूह के जस्बातो को शब्दों मे उतार दिया हैं ,
जेसे हर शब्द जीने को मजबूर करता हैं कहता हैं जिंदगी को तुम एक बार फिर जी लो ..........अनुभूति

Zindagi Bhar Nahi Bhoolegi (Male)


जिसने भी ये गीत लिखा हैं
शायद खूबसूरती को सांसो से पढ़ना सीख ही लिया होगा
सुनकर ही ऐसा लगता हैं मानो
किसी ने रूह के जस्बातो को शब्दों मे उतार दिया हैं ,
जेसे हर शब्द जीने को मजबूर करता हैं कहता हैं जिंदगी को तुम एक बार फिर जी लो ..........अनुभूति

तेरी प्रीत की रित हैं अनोखी


मेरे कृष्णा ! 
तेरी प्रीत की रित हैं अनोखी 
जो तेरा ,वो दूर खडा हैं तुझसे कोसो 
जगत ,दुनिया पा जाएँ तेरे चरणों का सुख 
और में बावरी तरसा किये हूँ तुझे 
सुनने को ,बतियाने को 
केसी सजा हैं प्रीत की अनोखी !
तिल-तिल का विरह में न पाऊं 
आस ये ही अब में इस संसार से मुक्ति पाऊं 
क्या करू चाह तेरे दर्शन की मन में 
जब तू सारे संसार की कठोरता
मेरे लिए ही ओड़े बैठा हैं 
दे दे मोक्ष मुझे अपने चरणों में ........

श्री चरणों में अनु



तुम्हरा आदेश

मेरे कृष्णा !
संसार  के अधिपति तुम तो भूले होगे 
कभी मुझे कही गयी अपनी ही बात 
तुमने  मुझे आदेश किया था 
पयोव्रत संकल्प का
ले तुम्हरे चरणों का आशीष मे शुरू करू 
ये संकल्प साकार |

तेरी रहमतों का यूँ असर मेरे चेहरे दिखता हैं ,
जेसे हर सांस मे तु मेरे साथ जीता हैं 
मे मरती हूँ
मिटती हूँ
रोती हूँ और तुझसे ही झगडती हूँ 
अगर तुम न हो मेरी सांसो मे तो, एक पल मे  मर जाऊं
मैं  जानती हूँ तुम हो इन साँसों मे, इसीलिए मे जी पाऊं 
अपनी अनु को,
अपने चरणों के आशीष से यूँ ही सम्हाले रखना
एक दिन आएगा जिस दिन मैं . तुझमे ही विलीन हो जाउंगी
मेरे कुमकुम की तरह अक्ष्णु हैं मेरा विशवास 
सदा तुम्हारे कदमो से यूँ ही लिपटी रहूँ मे 
ये  ही कामना हैं इस जीवन 
हो  मेरे संकल्प पुरे सारे इतना देना मुझे आशीष 
रख इस मस्तक पे हाथ 
तुमने ही हाथ थाम लड़ना सिखाया हैं 
अपनत्व का दिया हैं स्नेह संसार 
बस तुम इन साँसों से दूर मत जाना 
मे  तुम्हारी ही हूँ सदा रहूंगी इस जीवन बस
हाथो को मेरे यूँ ही अपने हाथो मे थामे रखना
मेरे माधव !
मेरे कृष्णा !
मेरे राम !
तुम्हरा आदेश



श्री चरणों मे तुम्हारी अनु




तेरी तलाश

निकला था तेरी तलाश में भटकता ही रहा हुआ जो सामना एक दिन आईने से , पता चला तू तो ,कूचा ए दिल में कब से बस रहा ................