बहुत निर्दयो हो तुम
मेरे कृष्णा !
अपार स्नेह भी देते हो ,
और अपने ही जलने का आभास भी ..........
जो तुम जलो इस स्नेह की राह
तो मे तिल -तिल जल मिट ही जाऊं
तुम मेरा. जीवन मेरी साधना
मेरी शक्ति ...........
तुम ही तो हो मेरे करुणाकर !
जिसने मुझे दीप बनाया
तुमने ही मुझे अपने अंतस से जलना सिखाया .......
इतना जानती हूँ हर राह ,हर सांस संग रही हूँ
हर विपदा के आगे खड़ी हूँ ....
मेरा जीवन तुझे ही अर्पण मेरे करुणाकर .....................
श्री चरणों मे अनुभूति
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