मेरे माधव !
खोल दिए हैं तुमने अपनी आत्मा के कपाट
तुमसा कोई कँहा हो सकता हैं मेरे मुरलीवाले
सरोबार हूँ में तुम्हारे अनुराग से
धन्य हूँ !
और बस तुम्हारे चरणों में बैठ रो रही
और कह रही हूँ अपने ही अंतस के अक्ष्णु विशवास से
देख तेरे माधव सा कोई नहीं
मेरी आत्मा का अक्ष्णु विशवास
अपने ही मन के द्वंदों से जीत गया हैं
मेरे राम !
तुम्हारे सत्य और स्नेह की शक्ति
असीम हैं तुम्हारे खामोश अनुराग की तरह
श्री चरणों में अनुभूति
खोल दिए हैं तुमने अपनी आत्मा के कपाट
तुमसा कोई कँहा हो सकता हैं मेरे मुरलीवाले
सरोबार हूँ में तुम्हारे अनुराग से
धन्य हूँ !
और बस तुम्हारे चरणों में बैठ रो रही
और कह रही हूँ अपने ही अंतस के अक्ष्णु विशवास से
देख तेरे माधव सा कोई नहीं
मेरी आत्मा का अक्ष्णु विशवास
अपने ही मन के द्वंदों से जीत गया हैं
मेरे राम !
तुम्हारे सत्य और स्नेह की शक्ति
असीम हैं तुम्हारे खामोश अनुराग की तरह
श्री चरणों में अनुभूति
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