मेरे खुदा !
वो कहता हैं मुझसे अभी तेरे और भी इम्तिहान बाकी हैं ।
तू ज़रा ठहर जा ,
जख्मों के लिए अभी तेरे दिल में और भी जगह बाकी हैं |
वो रोज अहसास बन कर उतरता हैं मुझमे ,
कुरआन की आयतों की तरह
पर उसे पता भी नहीं
वो उतरता हैं मुझमे पल -पल मेरे मरने के बाद
जीने के आस लिए जिन्दगी की तरह |
वो चाँद का घुंघट ,खनकती पायल
आज भी तडपती हैं ,
जिन्दगी की अदा लिए
असीम आत्म आनंद अनुभूतियों की तरह |
अनुभूति
वो कहता हैं मुझसे अभी तेरे और भी इम्तिहान बाकी हैं ।
तू ज़रा ठहर जा ,
जख्मों के लिए अभी तेरे दिल में और भी जगह बाकी हैं |
वो रोज अहसास बन कर उतरता हैं मुझमे ,
कुरआन की आयतों की तरह
पर उसे पता भी नहीं
वो उतरता हैं मुझमे पल -पल मेरे मरने के बाद
जीने के आस लिए जिन्दगी की तरह |
वो चाँद का घुंघट ,खनकती पायल
आज भी तडपती हैं ,
जिन्दगी की अदा लिए
असीम आत्म आनंद अनुभूतियों की तरह |
अनुभूति
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