मेरे स्वामी ,
मेरे कृष्णा !
तेरी दीवानी तुझसे लड़ते -लड़ते हारी
मेरे स्नेह सागर तेरे चरण पकड़ में रोती जाऊं
तेरा असीम स्नेह अमृत इन आँखों से बहाती जाऊं
में पगली तुझसे अब मांगू क्या ?
में मिट जाऊं
बलि हारी जाऊं
मेरे कृष्णा !
तेरी हर एक मुस्कान पे
तेरे अधरों की उस मीठी मुरली के नाम पे
मेरा तो सब कुछ गिरवी तेरे नाम मेरे गिरिधारी !
मेरे श्याम !
तेरी मुस्कान मुझे प्राणों से प्यारी
तू जो हँस दे में जीवन का हर संग्राम लडती जाऊं
तू ही तो हैं कान्हा जिसके नाम में जीती जाऊं
मेरे श्याम !
तेरे असीम स्नेह का ये वरदान
मुझ पे घटा बन के बरसे
मेरे कृष्णा !
मेरा वचन हैं ये जीवन ,ये प्राण तेरे ही कदमो की सेवा में निकले
जीवन की की सारी अभिलाषा की तुने पूरी
मेरे श्याम !
जब -जब में रोई तुने इन अखियन के पोछे आंसू
दिया अपनी स्नेहिल आत्मा का सहारा
क्या नहीं दिया तुने मुझे मेरे कान्हा !
सब कुछ तो तुमने इस पगली के आंचल में भर डाला
मुझसा कोई कहा कोई धनवान
जिसने पाया तेरे स्नेह का वरदान
में बावरी चाह के भी कुछ न कर पाऊं तेरे लिए मेरे श्याम
इसीलिए हर स्वप्न प्रणय को भी मेने किया
मेरे कोस्तुभ स्वामी तेरे नाम
इस जीवन का अब क्या बचा हैं कोई काम
आज दो मुझे आदेश की में करू ये काम
मिट जाऊं बन जाऊं तेरी जोगन
लेते -लेते तेरा नाम
ओ मेरे कोस्तुभ धारी
मेरे भगवान !
मेरे राम !
ये आत्मा यूँ ही करती रहे
तुम्हारी धवल छबी को नित अपनी आत्मा का वंदन
और तेरे चरणों में प्रणाम
श्री चरणों में अनुभूति
मेरे कृष्णा !
तेरी दीवानी तुझसे लड़ते -लड़ते हारी
मेरे स्नेह सागर तेरे चरण पकड़ में रोती जाऊं
तेरा असीम स्नेह अमृत इन आँखों से बहाती जाऊं
में पगली तुझसे अब मांगू क्या ?
में मिट जाऊं
बलि हारी जाऊं
मेरे कृष्णा !
तेरी हर एक मुस्कान पे
तेरे अधरों की उस मीठी मुरली के नाम पे
मेरा तो सब कुछ गिरवी तेरे नाम मेरे गिरिधारी !
मेरे श्याम !
तेरी मुस्कान मुझे प्राणों से प्यारी
तू जो हँस दे में जीवन का हर संग्राम लडती जाऊं
तू ही तो हैं कान्हा जिसके नाम में जीती जाऊं
मेरे श्याम !
तेरे असीम स्नेह का ये वरदान
मुझ पे घटा बन के बरसे
मेरे कृष्णा !
मेरा वचन हैं ये जीवन ,ये प्राण तेरे ही कदमो की सेवा में निकले
जीवन की की सारी अभिलाषा की तुने पूरी
मेरे श्याम !
जब -जब में रोई तुने इन अखियन के पोछे आंसू
दिया अपनी स्नेहिल आत्मा का सहारा
क्या नहीं दिया तुने मुझे मेरे कान्हा !
सब कुछ तो तुमने इस पगली के आंचल में भर डाला
मुझसा कोई कहा कोई धनवान
जिसने पाया तेरे स्नेह का वरदान
में बावरी चाह के भी कुछ न कर पाऊं तेरे लिए मेरे श्याम
इसीलिए हर स्वप्न प्रणय को भी मेने किया
मेरे कोस्तुभ स्वामी तेरे नाम
इस जीवन का अब क्या बचा हैं कोई काम
आज दो मुझे आदेश की में करू ये काम
मिट जाऊं बन जाऊं तेरी जोगन
लेते -लेते तेरा नाम
ओ मेरे कोस्तुभ धारी
मेरे भगवान !
मेरे राम !
ये आत्मा यूँ ही करती रहे
तुम्हारी धवल छबी को नित अपनी आत्मा का वंदन
और तेरे चरणों में प्रणाम
श्री चरणों में अनुभूति
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