क्या हैं तुहारी प्रीत कोस्तुभ स्वामी !
मिलो के फासले पे एक अनजान से
अनजानी आत्मा का मिलन ,
आत्मा से निकले शब्दों की धडकन ,
आत्मा की पुकार
स्नेह का सागर ,
ह्रदय की मुरली की सरगम की मिठास !
ह्रदय की मुरली की सरगम की मिठास !
आत्मा के छत्ते से टपकता स्नेह मधु !
या
कानो के करीब आके,
या
कानो के करीब आके,
अपनी मिठास से सब कुछ कह जाने की अदा !
मेरा अमर स्वप्न ! प्रेम का पावस!
निश्छल सत्य!
आत्मा की कठोरता !
मिट जाने की चाह !
पल-पल तड़पने की हसरत !
अपनी प्यास को अपनी आत्मा को
में छुपा जाने अद्भुत की शक्ति!
या
कोई मीठी दिव्य आनंद अनुभूति
कोई मीठी दिव्य आनंद अनुभूति
स्वयं संसार बनाने वाले के चरणों को नमन
तुम्हारी ही तरह अद्भुत हैं
आलोकिक हैं
प्रियतम तुहारी प्रीत
समर्पित हूँ में इसी अप्रितम प्रीत के प्रति
प्रतीक्षा रत में हूँ में अपने
प्रियतम
अपने कोस्तुभ स्वामी !
तुम्हारे लिए
"श्री चरणों में अनुभूति "
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें