मेरे कृष्णा !
मेरे मीत !
ये जीवन तुझको अर्पण
मुरलीवाले!
तुम चाहों तो,
मुरली बना के अधरों से लगा लो ,
चाहे तो आत्मा में बसा के,
गीता का ज्ञान बना दो ,
रही हैं इस संसार में ये काया ,
इसको तो जीना ही होगा न
आत्मा तो ना जाने कब से,
सत्य पे अर्पित पड़ी हैं
मेरे कोस्तुभ धारी !
तुम्हारे पवित्र स्नेह में इतनी क्षमता
जो धुल को भी , चन्दन बना दे |
में रस्ते का पत्त्थर प्रभु ,
मुझे बस दुनिया की ठोकरों से बचा ले |
अनुभूति
मेरे मीत !
ये जीवन तुझको अर्पण
मुरलीवाले!
तुम चाहों तो,
मुरली बना के अधरों से लगा लो ,
चाहे तो आत्मा में बसा के,
गीता का ज्ञान बना दो ,
रही हैं इस संसार में ये काया ,
इसको तो जीना ही होगा न
आत्मा तो ना जाने कब से,
सत्य पे अर्पित पड़ी हैं
मेरे कोस्तुभ धारी !
तुम्हारे पवित्र स्नेह में इतनी क्षमता
जो धुल को भी , चन्दन बना दे |
में रस्ते का पत्त्थर प्रभु ,
मुझे बस दुनिया की ठोकरों से बचा ले |
अनुभूति
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