नींदे सुनी हैं! बाते खामोश हैं !
सब तरफ की ,
ये ख़ामोशी मेरी जान लेती हैं ,
मेरी मेरे वचनों की तरह ,
जीने के सारे साहरे ,
एक पल में यूँ ही छुट जायंगे मुझसे सोचा नहीं था ,
मेरे राम जी !
मेरे ही साथ इतने.
मेरे ही साथ इतने.
कठोर भी हो सकते हैं |
किसी से कह नहीं सकती
अपनी इस ख़ामोशी को
की मेरे सारे एहसास
कल्पनाएँ भी गिरवी हैं |
सब कुछ शून्य पडा हैं|
दिल करता हैं वीराने में जाऊ ,
और जोर से अपनी आत्मा के द्वार खोल के रो लू
एक बार ही सही इतना रो लू की सारे आंसू सुख जाएँ |
सुख जाएँ आँखे की ये कभीअब सपनों की छाया से भी डरे |
बहुत तकलीफ होतीथी हर बार जब कोई सपना टूटा करता था |
लेकिन सपने दिखाने वाला,
जब सपना छीन ले,
तो दर्द नहीं सिर्फ एक तीखी पीड़बची रह जाती हैं,
हमेशा के लिए बस जैसे पल -पल कोई ज़िंदा मुझे काट रहा हो |
आज तक समझ ही पायी गुनाह क्या था मेरा ?
"अनुभूति "
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