मेरे राम
जब भी होती हूँ तुम्हारे श्री चरणों के करीब
देखती हूँ तुमसे अनन्य प्रीत ,
श्रद्धा तुम्हारे हनुमान के पास .
सोचती हूँ तुम्हारे श्री चरणो ने मुझे सब कुछ दे रखा हैं
फिर भी इंसान हूँ मांगने का आदि होता हैं ईश्वर से
हाथ जोड़ मांग बैठती हूँ प्रभु मुझे कुछ देना हैं तो
देना मेरी आत्मा के रोम रोम में तुम्हारा वास
तुम्हारी अनन्य भक्ति ,
मेरे शरीर के इस रक्त के कण- कण में तुम्हारा ही नाम |
मुझे चाहे भीष्म की तरह हजारो तीरों की मत्यु शैया की वेदनादेना
पर मेरे शरीर से गिरने वाली हर रक्त बूंद में सिर्फ तुम्हारा नाम देना
मुझे प्रीत नहीं किसी से
भोग की कामना भी नहीं बस तेरे श्री चरणों में मिटने का साहस देना |
और मेरे राम के दास हनुमान
मेरी आत्मा को सदा आप सी अपने राम की भक्ति देना
मेरी आत्मा को सदा आप सी अपने राम की भक्ति देना
क्योकि आप और में दोनों ही अपने राम के दास हैं
हमारे जीवन का हर क्षण उन्ही के नाम हैं |
अनुभूति
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