सोमवार, 25 अप्रैल 2011

मीरा

इन नैनों में बसे तुम्हरा रूप सलोना .
देखा नहीं ,जाना नहीं .
पर पल - पल अपने साथ महसूस किया हैं 
प्रभु , राजीव लोचन ये संग तुम्हारा |
सजीव प्रीत हैं मेरी,
तुम्हारे श्री चरणों में अर्पित ,
तुमसे ही ये प्रीत भी 
तुमसे ही हैं भक्ति मेरी 
सीता नहीं राधा नहीं 
विष प्याला हँस  के जो पी जाएँ 
मुझे वो मीरा की भक्ति दे दो प्रभु ,
बस अंतिम पल -पल तक 
ये सांस तुम्हारे श्री चरणों मेंनिकले
ये अर्ज कर लो  स्वीकार .
स्वीकार करो अपने 
श्री चरणों में मेरा ये अद्भुत भक्ति संसार |
 अनुभूति 


3 टिप्‍पणियां:

vandana gupta ने कहा…

काश मीरा सी भक्ति मिल जाये तो जीवन सफ़ल हो जाये………बहुत सुन्दर भाव भरे हैं।

Unknown ने कहा…

bhaavvibhor kar diya

anupam rachna !

Kailash Sharma ने कहा…

बहुत भावमयी रचना..

तेरी तलाश

निकला था तेरी तलाश में भटकता ही रहा हुआ जो सामना एक दिन आईने से , पता चला तू तो ,कूचा ए दिल में कब से बस रहा ................