इन नैनों में बसे तुम्हरा रूप सलोना .
देखा नहीं ,जाना नहीं .
पर पल - पल अपने साथ महसूस किया हैं
प्रभु , राजीव लोचन ये संग तुम्हारा |
सजीव प्रीत हैं मेरी,
तुम्हारे श्री चरणों में अर्पित ,
तुमसे ही ये प्रीत भी
तुमसे ही हैं भक्ति मेरी
सीता नहीं राधा नहीं
विष प्याला हँस के जो पी जाएँ
मुझे वो मीरा की भक्ति दे दो प्रभु ,
बस अंतिम पल -पल तक
ये सांस तुम्हारे श्री चरणों मेंनिकले
ये अर्ज कर लो स्वीकार .
स्वीकार करो अपने
श्री चरणों में मेरा ये अद्भुत भक्ति संसार |
अनुभूति
3 टिप्पणियां:
काश मीरा सी भक्ति मिल जाये तो जीवन सफ़ल हो जाये………बहुत सुन्दर भाव भरे हैं।
bhaavvibhor kar diya
anupam rachna !
बहुत भावमयी रचना..
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