ओ कृष्णा ,
मेरी आँखों से टिप -टिप करके बहे ,
ये केसा अनन्य स्नेह तेरा
में रोती जाऊ ख़ुशी से नीर बहाती जाऊ
बस ये ही तम्मना हैं ,
तेरी प्रीत धन्य हैं कान्हा
धन्य हैं कान्हा ,
तुमने जो इस पगली के नाम लिखी हैं
वो अनमोल प्रीत ,
मेरा नाम लिखी तुने विधाता
ये सोच ,पाकर ही धन्य हूँ ,में
विधाता! दो आशीष जो कृष्ण - स्नेह दिया तुमने
वो सम्हालने के बन सकू सदा लायक |
तेरे श्री चरणों में समर्पित
"अनुभूति "
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