शनिवार, 23 अप्रैल 2011

तेरे श्री चरणों में समर्पित

ओ कृष्णा ,
   मेरी आँखों से टिप -टिप करके बहे ,
    ये केसा अनन्य स्नेह तेरा 
   में रोती जाऊ ख़ुशी से नीर बहाती जाऊ 
   बस ये ही तम्मना हैं ,
    तेरी प्रीत धन्य हैं कान्हा 
                 धन्य हैं कान्हा ,
     तुमने जो इस पगली के नाम लिखी हैं 
     वो अनमोल प्रीत ,
     मेरा नाम लिखी तुने  विधाता
ये  सोच ,पाकर ही धन्य हूँ ,में 
विधाता! दो आशीष जो कृष्ण - स्नेह दिया तुमने 
 वो सम्हालने के बन सकू सदा लायक |

तेरे श्री चरणों में समर्पित

"अनुभूति "



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तेरी तलाश

निकला था तेरी तलाश में भटकता ही रहा हुआ जो सामना एक दिन आईने से , पता चला तू तो ,कूचा ए दिल में कब से बस रहा ................