हर पल एक तीखा सा
दर्द उठता हैं .
लगता हैं कही कुछ चीर रहा हैं |
हां
ये तो मेरे ही दिल के टुकड़े हो रहे हैं ,
बट रहा हैं कुछ दो टुकडो में ,
ये केसी पीर हैं ?
में ज़िंदा हूँ
और कुछ चीर रहा हैं
ये तो मेरे ही दिल के टुकड़े हो रहे हैं
इतनी ख़ामोशी से ,
अन्दर ही अन्दर
तक तुमने मुझे चीर दिया
और में मुस्कुराती ही रही |
शायद इसी का नाम जिन्दगी हैं ,
ख़ामोशी से तुमने मुझे चीर दिया
और फिर भी में तुम्हे ही मुस्कुराते हुए देख कर खुश हूँ |
इतनी तकलीफ में भी में खुश हूँ
शायद इसीलिए ,
क्योकि इस दर्द की आह में भी तुम्हारा नाम हैं |
मेरे राम !
5 टिप्पणियां:
दर्द के बगैर जिन्दगी निखरती भी तो नहीं
इतनी ख़ामोशी से ,
अन्दर ही अन्दर
तक तुमने मुझे चीर दिया
और में मुस्कुराती ही रही |
stree kee soch... !!! dard hi sahi tumhara hi hai
बहुत खूब ।
BAHUT SUNDAR ABHIVYAKTI.
bahut samvedansheel rachna.
एक टिप्पणी भेजें