गोकुल के घनश्याम
मीरा के बनवारी
हर रूप में तुहारी छवि
अति प्यारी
मुरली बजाके
रास -रचाए |
और कह ग्वालों से
पट तो गै रानी
अरे कान्हा ,
मीरा तो प्रेम दीवानी
और राधा दरस दीवानी
दोनों ही तेरे अधीन ही
फिर तू काहे कहे
पट तो गै रानी|
निकला था तेरी तलाश में भटकता ही रहा हुआ जो सामना एक दिन आईने से , पता चला तू तो ,कूचा ए दिल में कब से बस रहा ................
14 टिप्पणियां:
सुन्दर
अरे कान्हा ,
मीरा तो प्रेम दीवानी
और राधा दर्श दीवानी
दोनों ही तेरे अधीन ही
फिर तू काहे कहे
पट तो गै रानी|
bahut hi sundar bhaw , aapko ek chutki abeer
होली की ढेरों शुभकामनाएं.
नीरज
कान्हा प्रेम के रंगो मे रंगी बेहद खूबसूरत रचना……………होली की हार्दिक शुभकामनायें।
बहुत सुन्दर..होली की हार्दिक शुभकामनायें!
अति सुन्दर
मेरे ब्लॉग को पड़ने वाले और ब्लॉग के सभी आदरणीय सदस्यों को को होली की हार्दिक शुभकामनायें |
मेरा मार्ग दर्शन करते रहे और मेरे बड़े मुझे आशीष देते रहे |
आपकी उम्दा प्रस्तुति कल शनिवार (19.03.2011) को "चर्चा मंच" पर प्रस्तुत की गयी है।आप आये और आकर अपने विचारों से हमे अवगत कराये......"ॐ साई राम" at http://charchamanch.blogspot.com/
चर्चाकार:Er. सत्यम शिवम (शनिवासरीय चर्चा)
बहुत सुन्दर!
होली की शुभकामनाएँ!
यह रंग अनमोल है ....
शुभकामनायें होली पर !
अच्छी रचना
सुरक्षित , शांतिपूर्ण और प्यार तथा उमंग में डूबी हुई होली की सतरंगी शुभकामनायें ।
आपको होली की शुभकामनाएं।
आप सभी टिप्पणी दाताओं को होली की रंग भरी शुभकामनाएं |
और बहुत बहुत आभार |
आहा... मजा आया ... अति सुन्दर
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