शुक्रवार, 25 मार्च 2011
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तेरी तलाश
निकला था तेरी तलाश में भटकता ही रहा हुआ जो सामना एक दिन आईने से , पता चला तू तो ,कूचा ए दिल में कब से बस रहा ................
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ये कविता किसी बहुत बड़े दार्शनिक या विद्वान के लिए नही है | ये कविता है घर-घर जाकर काम करने वाली एक साधरण सी लड़की हिना के लिए | तुम्...
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गोकुल के घनश्याम मीरा के बनवारी हर रूप में तुहारी छवि अति प्यारी मुरली बजाके रास -रचाए | और कह ग्वालों से पट तो गै रानी अरे कान्हा , मी...
4 टिप्पणियां:
यही तो उसकी खास अदा है…………।बेहद उम्दा भाव्।
krishn ... ab to suno
वियोग श्रंगार का भी अलग ही रंग होता है!
धन्यवाद ,
आप सभी का आभार |
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