प्रभु मेरे !
तेरे एहसासों के साए में,
पल रहा प्यार मेरा ,
तेरी खोमोशी में,
पल रहा एक अनुराग मेरा.
सोचती हूँ कभी कहते नहीं ,
कोई इजहार नहीं
फिर तुम्हारी आँखे क्यों मुझसे बात करती हैं ?
बिना कहे भी ,
ये दिल से दिल के बीच कौन सा यकीन पल रहा है ,
ये यकीन क्यों है !
ये जान कर जी रही पल -पल सिर्फ मैं तेरे लिए |
तुम्हारे दिए हर परिवर्तन को महसूस करती हूँ ,
और सोचती हूँ क्यों बदल गए भगवान मेरे
इतना लाड क्यों बरसाने लगे प्रभु मेरे !
इस बावली पर
अभिभूत हूँ तुम्हारे इस आलौकिक स्नेह से ,
कृतार्थ कर दिया ,प्रभु !
इस पागल का स्नेह
अपने चरणों में स्वीकार करके |
अब मुझे डर नहीं, मेरा मोक्ष होगा कि नहीं ,
वह मोक्ष होकर मुझे तेरे कदमो की सेवा ही मिलेगी
प्रभु मेरे !
कृतार्थ कर दिया तूने मुझे
धन्य हूँ मैं तेरे नाम से .
मेरे प्रभु,! मेरे राम !
बस यूँ ही मेरी आत्मा में वास करना ,
मुझे अपने लिए यूँ ही बौराए रखना ,
अपने चरणों यूँ ही स्थान देना ,
इतनी ही विनती है |
मेरा रोम -रोम ऋणी रहेगा तेरा
तेरे इस संसार में अब कोई ख्वाहिश नहीं ,
मेरे प्रभु , मेरे राम
9 टिप्पणियां:
आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (24-3-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com/
भक्त रस में सराबेर कर दिया आपने!
सुन्दर रचना!
सोचती हूँ कभी कहते नहीं ,
कोई इजहार नहीं
फिर तुम्हारी आँखे क्यों मुझसे बात करती हैं ?
pyaar yun hi baaten karta hai
bhakti ras me doobi alaukik prem ki sundar aur sarthak rachna.....
kalam aur jeevan dono yahin sarthak hote hain ..
bahut sundar bhaw.....
AAnkhon ki bhasha sachhi bhasha,baki sab bakwas,
Prabhu daras jisko ho jaaye,
usse hi ho paar ka abhaas.
bahur umda panktiyan ...dil ko gahraayee se chhooti huyi.
भक्ति रस से परिपूर्ण बहुत सुन्दर रचना..
मन की वेदना में छिपा हो रहस्य,
उस रहस्य की व्यथा में मन पुकारता।
वह राम बसा है रोम रोम में अवश्य,
हर पल उस रूप को रहे जब निहारता॥
यह मन की आंखों की अजीब है कल्पना,
अपने को इसी परम भाव में देखिये।
वह सत्य है वह सामने है वह नित्य है,
अपनी हर सांस को उसके प्रति सहेजिये॥
आज नही तो कल आयेगा वह पल जरूर,
जब भावना का साकार रूप होगा खडा सामने।
वह पल नही होगा कथन के योग्य फ़िर भी,
वह अपनत्व होगा वह सत्य होगा जो दिया है रामने।
आप सभी की टिप्पणियों के लिए बहुत बहुत धन्यवाद
|यूँही मेरा मार्गदर्शन करते रहे |
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