हर बार एक नया सवाल पैदा करता हैं|
क्या दुनिया वेसी हैं ?
सुनहरी जेसी हर तरफ दिखाई देती हैं
या
दो रंगों वाली ,
सुनहरे पलों वाली या ,
उसके पीछे छिपी ,
बिलकुल काली और स्याह ,
एक नन्ही सी बूंद
क्या समझ पायेगी इस दुनिया के महासागर को ?
नहीं इन्ही अनसुलझे सवालों में
डूब जायेगी वो !
इस दुनियां के महासागर में ,
खो जायेगी कही ,
अपने अस्तित्व को सागर में डुबोये ,
और नन्ही - नन्ही बूंदों से
ही तो भरा होगा सागर,
और कहलायेगा
वो महासागर|
2 टिप्पणियां:
जी
दुनियां का सृजन शून्य से हुआ
शून्य को दुनिया नही पहचानती
होली की ढेरों शुभकामनाएं.
नीरज
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