सोमवार, 21 फ़रवरी 2011

तेरा चेहरा और मेरे अश्क


ऐ मेरे खुदा ,
उनको,
कभी तो, 
हम पे रहम आए ,
 
कभी तो , 
ऐसा हो कि ,
उनको मेरी आँखों से गिरते इन अश्को में 
अपना चेहरा नजर आए  | 

उनको यकीन हो न हो ,
मेरा हर अश्क 
आँखों से ढलते -ढलते भी 
उन्ही के चेहरे को
 अपने अश्कों में महसूस करता हैं |


-- अनुभूति 

2 टिप्‍पणियां:

रविंद्र "रवी" ने कहा…

ऐ मेरे खुदा ,
उनको,
कभी तो,
हम पे रहम आये ,
बेहतरिन!!!!!!!!!!!!!

kunwarji's ने कहा…

bahut badhiya ji....

kunwar ji,

तेरी तलाश

निकला था तेरी तलाश में भटकता ही रहा हुआ जो सामना एक दिन आईने से , पता चला तू तो ,कूचा ए दिल में कब से बस रहा ................