बुधवार, 16 फ़रवरी 2011

तेरी रहमतो का साया

आप की खामोशी , 
मेरे हर सवाल का जवाब होती है |

बिन मांगे भी  सब कुछ दे देने की आप की अदा ,
हर बार आप को जिन्दगी में नया मुकाम देती है .

क्या करूँ अल्फाजों से जिन्दगी को बयाँ ?

जब सोचती हूँ अपने को ,
हर सांस
हमको आप के कदमो पे झुका देती है..
  
अपनी  रहमतो का  साया 
यूँ ही जिन्दगी पे बनाए रखना ,

इस कदमो की धूल को ,
बस, अपने कदमो से लगाये रखना |

मांगू अब  क्या खुदा से और ,
बस कदमो की धूल को 
कदमो से लगाये रखना , 

मेरे खुदा !


-- अनुभूति 

2 टिप्‍पणियां:

Girish Billore Mukul ने कहा…

वाह
आप की खामोशी ,
मेरे हर सवाल का जवाब होती हैं |

रामेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

आत्मा की पहिचान जिन्हे होती है,
वे परमात्मा के समीप होते है.
हर भाव में होता है समर्पण जिनका,
वे परमात्मा के समीप होते है.

तेरी तलाश

निकला था तेरी तलाश में भटकता ही रहा हुआ जो सामना एक दिन आईने से , पता चला तू तो ,कूचा ए दिल में कब से बस रहा ................