जो लिखा न जा सके ,जो कहा न का सके
जो महसूस किया जा सके
आत्मा से आत्मा तक
तुम मेरा वी अहसास हो
न ही चाँद उगता हैं मेरे गीतों में ,
न ही चांदनी बिखरी होती हैं मेरे शब्दों में
तुम्हारी कोई सदा नहीं आती मुझतक अब
तुम तन्हा नहीं ये जानती हूँ
लेकिन में तो इस संसार में भी रह कर हर पल तनहा हूँ
हां मेरे कृष्णा
यथार्थ नहीं ,
न सही लेकिन
तेरी आत्मा की आत्मा से परिणीता हूँ में
मेरे मस्तक रहने वाला कुमकुम साक्षी हैं
मेरे निस्वार्थ स्नेह का
तुम्हारी निस्वाथ प्रीत का
सदा इन चरणों में बसों चरणों में बसी रहूंगी में
बस
ये ही कृष्णा मेरी अंतिम परिणीती हैं
हां तुम्हारी परिणीता हूँ में
मेरे कृष्णा !
जो महसूस किया जा सके
आत्मा से आत्मा तक
तुम मेरा वी अहसास हो
न ही चाँद उगता हैं मेरे गीतों में ,
न ही चांदनी बिखरी होती हैं मेरे शब्दों में
तुम्हारी कोई सदा नहीं आती मुझतक अब
तुम तन्हा नहीं ये जानती हूँ
लेकिन में तो इस संसार में भी रह कर हर पल तनहा हूँ
हां मेरे कृष्णा
यथार्थ नहीं ,
न सही लेकिन
तेरी आत्मा की आत्मा से परिणीता हूँ में
मेरे मस्तक रहने वाला कुमकुम साक्षी हैं
मेरे निस्वार्थ स्नेह का
तुम्हारी निस्वाथ प्रीत का
सदा इन चरणों में बसों चरणों में बसी रहूंगी में
बस
ये ही कृष्णा मेरी अंतिम परिणीती हैं
हां तुम्हारी परिणीता हूँ में
मेरे कृष्णा !
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