मंगलवार, 31 मई 2011

राधा का विश्वास


ओ कन्हियाँ
तेरी बावरी राधा ,
तुझे यमुना तट पुकारे ,
ओ श्याम ,
अपनी बंसी ले आओ ,
नदियाँ किनारे
तुम्हारी बंसी बिन सूना पडा ,
राधा का संसार ,
विशवास हैं राधा को ,
मेरे कान्हा जी आयेंगे ,
बाटनिहारती खड़ी हैं राधा रानी
बूंद - बूंद गिराती जाती हैं,
अखियाँ से पानी ,
कान्हा जी
अब तो आजाओं
तुम ही कहो हो राधे जब पुकारोगी
में चला आउंगा , यमुना किनारे
चले आओ ,
श्याम
!
राधा रानी का ये विशवास
पूरा कर जाओ ,
वो पगली कुछ नहीं मांगे ,
वो खो जाए ,बस सुन ,
तुम्हारी मुरली की धुन
युमना तट चले आओ एक बार
अपनी राधा का विश्वास पूरा कर जाओ !
मेरे मुरलीवाले!
मेरे कोस्तुभ धारी !
श्री चरणों में अनुभूति

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तेरी तलाश

निकला था तेरी तलाश में भटकता ही रहा हुआ जो सामना एक दिन आईने से , पता चला तू तो ,कूचा ए दिल में कब से बस रहा ................