सपनों का अमलतास
इतनी खुबसूरत भोर नहीं देखी मैने,
नहीं किया था ,कभी ऐसा प्रकृति दर्शन
सजी हुयी थी ,खिले अमलतासो से मेरी राहें ,
लगता हैं सारे ख्वाब ,मेरी राहों में सजे पड़े हैं|
कभी झाँका ही नहीं तुमने,
इस खुबसूरत कायनात को इतनी अल सवेरे ,
भागना नहीं चाहती जिन्दगी में तुझसे ,
तेरी हरख़ुशी ,हर गम को झूम के गले लगाना चाहती हूँ में |
आज मेने बरसो बाद सच में सजा देखा हैं अमलतास
मेरे जीवन के पहले अधूरे ख्वाब की तरह ,
उतना ही मासूम और खुबसूरत ,
हर साल ,सजता रहेगा अमलतास
और साल दर साल यूँही
अपने रक्त बिंदु की तरह ,विशवास
और गहरा किये करती रहूंगी
अपने वचन के पुरे होने का इन्तजार |
हां , एक दिन मेरे मरने से पहले तो सजेगा,
मेरे अधूरे सपनों का अमलतास भी ,
जोड़ दिया हैंजीवन को मेने आज से योग से भी
प्रभु तुमारी भक्ति और योग
मेरे अमलतास के सजने का शुभ संकेत हैं |
"आप के श्री चरणों में आप की अनुभूति "
1 टिप्पणी:
बहुत खूबसूरत कविता और साथ में चित्र संयोजन भी ।
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