मन का मयूर नाचे छम - छम
के आगये राधा - रानी तेरे प्रीतम.
आज वो तुझे छू जायेंगे |
मन की हर कसमसाहट मिटा जायेंगे |
अरे पगली ,
कान्हा के आने से
पहले करले सोलह सिंगार
पैरों में पायल ,
सांसो में सरगम और
दिल में कान्हा को बसाये ,
आज तो तू धड़का दे तन मन श्याम का ,
अपने घनश्याम का .
कान्हा तो काला,
और तू राधा चाँद चकोरी
कान्हा कँहा टिक पाएंगे ,
आज तेरे घनश्याम
कि आज तो होरी है .
और कान्हा की राधिका कोरी हैं |
तो काहे लजाएँ अपने श्याम से
आज तो रंग लगाने दे ,
अंग - अंग भीग जाने दे,
रंग में रंग ,और मन से मन,
आज मिल जाने दे ,
राधिका गोरी
अब खुल के बोल ,
हाथ गुलाल रंग बिरंगी ले कर बोल,
कि श्याम आज तो होरी हैं |
ये राधिका तोरी हैं |