मन खिला हैं बसंती फूलों से
तेरा विशवास मिलाहैं प्रभु मुझे ,
जिन्दगी की आहट से ,
मेरा ईश्वर ,
मेरे राम! मेरी साँसों में हैं|
वचनों का विशवास ,
जिवंत हैं मुझमे और वचनों को निभाने की अटूट आस्था भी,
मेरे राम बिलकुल आप ही की तरह |
वचनों की डोर ही तो अब
तपस्या रह गयी हैं जीवन की
जो कुछ भी दिया हैं
अद्भुत दिया हैं
आत्मा को प्रभु !
संसार की हर बात मिथ्या हो सकती हैं
संसार की हर बात मिथ्या हो सकती हैं
लेकिन मेरे राम का नाम,और मेरे मस्तक का ये रक्त बिंदु
कभी नहीं हो सकता |
मेरे राम के हर शब्द में झलकता हैं
आत्मा का सच!
मेरा अक्ष्णु विशवास,
तो टूटा ही नहीं कभी वो तो सदा बंधा हैं,
मेरी सांसो के साथ |
वो टूट जाता तो ?
क्या करना हैं मिथ्या भ्रमों में जीकर
सब कुछ तो निराकार होकर मुझमे बसा हैं |
" अनुभूति "
अपने राम जी की चिड़ियाँ
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