मंगलवार, 31 मई 2011

मीरा

मीरा अपने कन्हियाँ से इतना स्नेह करती थी 
की जीवन के अनन्य स्नेह के रूप अपने पति में भी 
वो अपने कृष्ण जी को ही देखती थी |
इस अद्भुत भाव को व्यक्त करते उनके ये शब्द .


"मेरे तो गिरिधर गोपाल दुसरो ना कोई ,
जाकें सिर मोर मुकुट मेरों पति सोई ,"
   मीरा  

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तेरी तलाश

निकला था तेरी तलाश में भटकता ही रहा हुआ जो सामना एक दिन आईने से , पता चला तू तो ,कूचा ए दिल में कब से बस रहा ................