रविवार, 17 जनवरी 2010

सितारों से वास्ता

जो जानता है ,सूरज और चाँद तक उसकी पहुँच नहीं होगी ,
वो रखता है सितारों से वास्ता
कभी मानता है हनुमान जी को ,
तो कभी शनि मंदिर गुहार लगाता
क्या मंदिरों मंदिरों भटकने से बदल जायेगी तक़दीर ?
हां ,अगर ऐसा ही कुछ होता तो शायद तो राम को कभी ना होता वनवास
और वैदेही यु हरी ना जाती ,
रावन जेसा महाज्ञानी ,सबसे बड़ा शिव भक्त ,क्यों ?
ना बदल सका अपनी तक़दीर
जो तय है ,वो अब बदला नहीं जासकता
उसमे कुछ सुधार किया जासकता है बस
चाहो तो तुम सुधार लो अपने सितारे या कह लो अपनी तक़दीर
मंदिरों मै नहीं बस्ता आज का भगवान्
वो तुम्हे मिल जाएगा किसी चाय की होटल पर अपने नन्हे हाथोसे कप प्लेट धोता
,कही किसी कोने मै तुम्हारी झूठन उठाते ,
उसे पूजो ,उसको प्रसाद चदाओ ,उसे अपनाओ
बदल जाएगी तकदीरे ।
बदलना है तकदीरों को तो बदलो अपने घरो मै दिन भर तुम्हारे लिए पसीना बहाती ,कभी ना शिकायत करने वाली तुम्हारी माँ.या पत्नी की तक़दीर
बहुत कुछ है बदलने को अभी बाकी ,
हां बस एक बार शुरुवात तो करो ,हां किसी मंदिर से नहीं
अपने ही उस घर से जहां तुमने अपनी पिता को रूद्र का अवतार नहीं माना
और कभी माँ को कभी शक्ति समझ कर नहीं पूजा
जहा पग ,पग किया तुमनेशक्ति के रूप मै आई अपनी पत्नी का अपमान
सुधारना है सितारों को तो ,शुरुवात अपने घर अपने सबसे बड़े तीर्थ से करो ।
हां यकीं है मुझको बदल जाएगे सितारे तुम्हारे
और तुम टाटा ,बिरला ना सही एक खुबसूरत जीवन के मालिक जरुर बन जाओगे |
वो खूब सूरत जीवन जो शायद टाटा ,बिरला और अम्बानी के पास भी नहीं
पाजाओगे वो असीम शान्ति ,सुकून और चैन ,जिसके लिए दुनिया हिल स्टेशनों पे भटकती है
हां .जो जानता है सूरज और चाँद उसकी पहुच नहीं होगी ,
वो रखता है सितारों से वास्ता|
सरिता



तेरी तलाश

निकला था तेरी तलाश में भटकता ही रहा हुआ जो सामना एक दिन आईने से , पता चला तू तो ,कूचा ए दिल में कब से बस रहा ................