एक अल्हड नदी ...... जिस पर निस्वार्थ स्नेह बांध बना सका .....घुटते हुए मौसमो से ..उसने भर दी जीवन में स्नेह की मिटास ..और बना दिया अपने स्नेह से रसात्मिका |