रविवार, 13 नवंबर 2011

Bhajans from Meerabai Serial Part 1


मेरी रूह तडपती हैं मेरे मनमोहना !
मेरी आँखों से गिरता ये पानी तुम्हारे चरण पखारता हैं
मेरे माधव !
तुम ही मेरे जीवन का यथार्थ सत्य ,
कुछ पल ही सही अमिट आलोकिक स्नेह अपनत्व देने वाले
तेरे ही चरणों मे करती हैं ये पगली
इन अश्रुओं से इस भोर का आत्मीय नमन ...........................
स्वीकार करो मेरे गिरधर ,,,,,,,,,
ये आहें आत्मा की तुम ही सुन सको सुन लो प्रियतम ...........
तेरे विरह मे यूँ ही तिल -तिल मिट जायेगी ये पगली .......
श्री चरणों मे तुम्हारी अनु .....

LATA MANGESHKAR - KANHA AAN PADI MEIN TERE DWAR - SHAGIRD 1967

तेरी तलाश

निकला था तेरी तलाश में भटकता ही रहा हुआ जो सामना एक दिन आईने से , पता चला तू तो ,कूचा ए दिल में कब से बस रहा ................